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हर वक्त ज़िंदगी में नया इम्तिहाँ रहा
मुझको हराने वाला मेरा राज़दाँ रहा//
हर चीज़ भूल सकता है लेकिन ये दिल मेरा
कैसे वो रिश्ता भूले कि जो दरमियाँ रहा
जो कोई और होता तो मैं लड़ भी लेता यार
पर सामने मेरे मेरा वो हमज़बाँ रहा //
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