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हर वक्त ज़िंदगी में नया इम्तिहाँ रहा
मुझको हराने वाला मेरा राज़दाँ रहा//
हर चीज़ भूल सकता है लेकिन ये दिल मेरा
कैसे वो रिश्ता भूले कि जो दरमियाँ रहा
जो कोई और होता तो मैं लड़ भी लेता यार
पर सामने मेरे मेरा वो हमज़बाँ रहा //
मुझको थी आज तेरी जरूरत बहुत ए यार
रहता था साथ ! आज बता तू कहाँ रहा //
तूफ़ान आंधियों से जो डरता नहीं था घर
आँगन ज़मीन उसकी तो छत आसमाँ रहा //
महफूज़ मैं रहा यहाँ हर पल ए यार मेरे
मुश्किल में मेरी मेरा खुदा पासबाँ रहा
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