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ग़ज़ल



जो खो दिया है तू ने मुकर्रर नहीं है ये

दुख जितना समझा उतना तो कमतर नहीं है ये ।।


मुम्किन नहीं दोबारा इसे पाना अब यहां

यारों!मशीनों से बना गौहर नहीं है ये ।।


हर पल ये प्यार अपना बदल लेता है यहां

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