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कमअक्लो को अहमक सयाने लगते है...
नये दौर की महफ़िलो में
शरीफ़ लोग पुराने लगते है,
कोठे की औलादे भी खुद को
खानदानी बताने लगते है,
ना होता था पीने को पानी
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कमअक्लो को अहमक सयाने लगते है...
नये दौर की महफ़िलो में
शरीफ़ लोग पुराने लगते है,
कोठे की औलादे भी खुद को
खानदानी बताने लगते है,
ना होता था पीने को पानी
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