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मैं बिखरता रहता हुं,
हर रात तेरी यादों की,
चादर को ओढ़ा करता हुं,
सिमट जाती हैं तेरी यादें,
मेरी बाहों की गर्माहट में,
मैं जब भी तेरी कशिश के,
सहारे जिया करता हुं,
नमक सी हो तुम मेरी जिंदगी में हमदम,
मैं हर रोज अपने तकिए से ये बयां करता हुं,
की तुम ना होकर भी मेरी ही रहती हो,
क्यूंकि मैं हर रात तेरे ही जोड़े से,
गले लगकर जो सोता हुं
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