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मैं बिखरता रहता हुं,
हर रात तेरी यादों की,
चादर को ओढ़ा करता हुं,
सिमट जाती हैं तेरी यादें,
मेरी बाहों की गर्माहट में,
मैं जब भी तेरी कशिश के,
सहारे जिया करता हुं,
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