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तुम मुझे याद नहीं करते क्यूं,
क्या निशानी मिली किसी और की है,
मुस्कुरा रहे थे तुम तन्हा महफिल में भी,
क्या हमारे किस्से भी अब पुराने से है,
सुन लिया था मैंने तेरे ग़ज़ल को उसदीन,
जिस दिन से तू किसी और का दीवाना सा है....
क्या निशानी मिली किसी और की है,
मुस्कुरा रहे थे तुम तन्हा महफिल में भी,
क्या हमारे किस्से भी अब पुराने से है,
सुन लिया था मैंने तेरे ग़ज़ल को उसदीन,
जिस दिन से तू किसी और का दीवाना सा है....
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