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चंद साल यहाँ बिताता है चला जाता है बशर
बड़े अरमानों के तिनकों से घर बसाता है बशर
हबीब भी और रक़ीब भी यहाँ बनाता है बशर
येह दुनिया छोड़ जाने के लिए ही आता है बशर
डॉ.एन.आर.कस्वाँ #बशर
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