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टुकड़े टुकड़े उतरती है जमाने में रात

Nathuram KaswanNathuram Kaswan April 4, 2023
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टुकड़े - टुकड़े उतरती है जमाने में रात

हर-पल जुदा होती है आशियाने में रात

वक़्त बहुत लगाती है कहीं आने में रात

पूरीही बीत जातीहै कहीं सुलाने में रात

चुटकीभर लगातीनहीं कहीं जानेमें रात

रतजगे करवातीहै कहीं मयखानेमें रात

गुज़र जाती है  लोगों की पैमाने में रात

जमाने बीत जातेहैं कहीं बिताने में रात

डॉ.एन.आर. कस्वाँ #बशर

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