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दूरको दूर पास को पास समझने की भूल न कर
हर-सू हर शय को खास समझने की भूल न कर
महज़ हाथ मिलाने से कोई हबीब नहीं हो जाता
तक़ल्लुफ को इख़्लास समझने की भूल न कर
डॉ.एन.आर. कस्वाँ#बशर
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दूरको दूर पास को पास समझने की भूल न कर
हर-सू हर शय को खास समझने की भूल न कर
महज़ हाथ मिलाने से कोई हबीब नहीं हो जाता
तक़ल्लुफ को इख़्लास समझने की भूल न कर
डॉ.एन.आर. कस्वाँ#बशर
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