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शाम -ए-हयात हमारी गुज़र जाने दो आसानी से
ऐ खुदारा करदो महफूज हमको हर पशेमानी से
पीरी में आके कुछ लंबे होने लगे हैं रोज ओ शब
तन्हाई के आलम को दूर करो हमारी कहानी से
डॉ.एन.आर.कस्वाँ #बशर
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