
Share0 Bookmarks 7 Reads0 Likes
दुश्मनों की तरह रंज ओ ग़म हमको बशर घेरे रहते हैं
भूली बिसरी यादों के डाले हुए डेरे शाम सवेरे रहते हैं
डॉ.एन.आर. कस्वाँ #बशर
No posts
No posts
No posts
No posts
दुश्मनों की तरह रंज ओ ग़म हमको बशर घेरे रहते हैं
भूली बिसरी यादों के डाले हुए डेरे शाम सवेरे रहते हैं
डॉ.एन.आर. कस्वाँ #बशर
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments