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पहले ग़म क्या कम थे के सितम ये हुआ
कासिद बन गया रक़ीब पैग़ाम लाते लाते
हंसते हंसते रोने लगा
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पहले ग़म क्या कम थे के सितम ये हुआ
कासिद बन गया रक़ीब पैग़ाम लाते लाते
हंसते हंसते रोने लगा
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