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पेट भर जाता है थोड़ेसे खाने से भूख मरती नहीं है
जीते-जी कभी भी आदमी की नियत भरती नहीं है
दुनिया-ए-फ़ानी में आके यहां हर कोई मर जाता है
मरकरभी मग़र इन्सानकी इन्सानियत मरती नहीं है
डॉ.एन.आर. कस्वाँ #बशर
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