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तस्वीर बनाना चहता हूँ अपनी रंग कोई गहरा नहीं मिलता
सूरतें मिलती हैं बहुत ख़ुद के लिए कोई चेहरा नहीं मिलता
किसे मालूम कौन उड़ा लेगया चमन से रंग ओ बहार तमाम
उजड़े हुए दयार पर कहीं किसी का कोई पहरा नहीं मिलता
मुसलसल जारी है गै
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