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अरमान सीनेमें दफ़्न अपने हज़ार लिए फिरते हैं
हम अपनी चलती - फिरती मज़ार लिए फिरते हैं
वक़्तकी दीमक ने बशर जो लिख डाले हैं तब्सिरे
हम सब कुदरत का वोह शाहकार लिए फिरते है
डॉ.एन.आर. कस्वाँ #बशर
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