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बरसी करे हुए जमाना हुआ
बशरको मरेहुए जमाना हुआ
ठंडी हुई चिता की राख पर
मटकी भरे हुए जमाना हुआ
जिस ठौर पर पलकर बड़े हुए
अपनो से परेहुए जमाना हुआ
उसकी रजा से क़ज़ा अपनाई
जिंदगीसे डरेहुए जमाना हुआ
हयात-ए-मुस्त'आर से अपनी
किनारा करे हुए जमाना हुआ
डॉ.एन.आर.कस्वाँ #बशर
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