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पहले की तरह कुछभी पढने को बेताब नहीं
रखी अब मिरे घर में कहीं कोई क़िताब नहीं
सर ए फ़लक बेशुमार अल्फ़ाज बिखरे हुए हैं
इन बे - हिसाब लफ्जों का कोई हिसाब नहीं
डॉ.एन.आर. कस्वाँ #बशर
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पहले की तरह कुछभी पढने को बेताब नहीं
रखी अब मिरे घर में कहीं कोई क़िताब नहीं
सर ए फ़लक बेशुमार अल्फ़ाज बिखरे हुए हैं
इन बे - हिसाब लफ्जों का कोई हिसाब नहीं
डॉ.एन.आर. कस्वाँ #बशर
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