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अमृत काल



क्यों नहीं बदला हमने देश का हाल…

वक़्त अब पूछ रहा हमसे ये सवाल….

आ गया आज़ादी का अमृत काल….


क्यूं ख़ौफ़ नहीं कानून का दरिंदों को….

क्यूं न मिला खुला आसमां परिंदों को….

क्यों नहीं हैं अपराधी बड़े हिरासत में…..

क्यों मिल रहीं हैं कुर्सियां विरासत में…..

चर्चा के बदले क्यों मचता हैं बवाल….

वक़्त अब पूछ रहा हमसे ये सवाल….

आ गया आज़ादी का अमृत काल….


क्यूं दूर रहतें सत्ता और सुख ग़रीब से….

क्यूं न देखे कोई दुःख उसका क़रीब से….

अमीर नज़रों में कब श्रम का मान होगा….

कद्र से अपनी कब हर्षित किसान होगा…..

समानता लाने में बिते क्यों इतने साल…..

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