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अच्छा नहीं लगता......
दिलों के दरमियां दूरी लाना अच्छा नहीं लगता......
आपका हमसे यूं रूठ जाना अच्छा नहीं लगता......
ज़ालिम इस ज़माने के कब से सताये हुए हैं हम......
अब आपका भी हमें सताना अच्छा नहीं लगता......
कभी प्यार की ख़ातिर आप खुद भी मान जाइए......
हर बार हमारा आपको मनाना अच्छा नहीं लगता......
जानते हैं हम कि आप हमसे दूर रह नहीं सकते......
फ़िर आपका ये बहानें बनाना अच्छा नहीं लगता......
गुनगुनाना चाहता हूं मैं दिलकश प्यार की ग़ज़ल......
अब ये तन्हाई के नग़्में गाना अच्छा नहीं लगता.......
- नरेश कुशवाहा
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