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International Poetry Day1 min read

देश सुरक्षित है...

Naresh KhinchiNaresh Khinchi June 16, 2020
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ये मत सोचो की तुम घर में बंद हो

ये मत सोचो की तुम किसी मुसीबत में हो

ये मत सोचो की तुम्हें आज़ादी नहीं है

ये मत सोचो की तुम्हारा नुक़सान हो जाएगा।


सोचो कि तुम घर में सुरक्षित हो

सोचो कि तुम किसी मुसीबत में नहीं हो

सोचो कि तुम्हे वक्त बिताने की आज़ादी है

सोचो कि तुम कोरोना पीड़ितों से तो फ़ायदे में हो।


अब उनकी सोचो जो घर से बाहर असुरक्षित है

उनकी सोचो जिनको

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