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अपनी आँखों में उसने
भर लिया शीशा
उस पर उठती हर उँगली ने देखी
खुद पर उठती हुई उँगली
ईश्वर ने अपने हाथ देखे उसमें
जिसने बनाया
परिभाषाएँ गढ़ने वाले इंसानों को
जर्जर दीवारों ने अपना चेहरा देखा उसमें
एक स्त्री ने देखी उसमें
वासनाओं का समुद्र
पुरुष
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