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बता देता, बस यही कुछ ख़राब सा लगा।
वो हाथ छुड़ाने को कब से बेताब सा लगा।।
यूं तो उसके मिलने में गर्मजोशी थी बहुत।
मगर चेहरे पर उसके एक नक़ाब सा लगा ।।
मुझे मायूस देखकर उसने बढ़ाया तो हौसला।
छुप के हंसना मगर उसका तेज़ाब सा लगा ।।
मेरी गिला से पहले ही सफ़ाई दी उसने।
वो शख्श बड़ा हाज़िर जवाब सा लगा ।।
घोंसला हमने बनाया तो मिलकर था लेकिन।
वो जब भी आया मुझको एक उकाब सा लगा ।।
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