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किसी दिलजले प्रेमी सा
सावन तू छुपकर क्यों आता है?
जब मीत मेरा परदेश में है
तब तुझको क्या ये भाता है ?
क्या कर लूंगी मैं तेरी
गीली रूमानी बरसातों में?
डर से किस से लिपटूंगी
जब बिजली कड़केगी रातों में?
फुहार तेरी दिल पर बरसे
ज्यों घी डाला हो शोलो पर।
तेजाब के छीटों सी पड़ती
तेरी बूंदें मेरे कपोलों पर।।
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