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ये जो इस मोड़ से उस मोड़ तक जाती है सड़क।
सुबह के भूलों को घर वापस लाती है सड़क।।
ये बात और है किसी इंसान को सुनाई ना पड़े।
वरना हर हादसे से पहले तो चिल्लाती है सड़क।।
कभी गंदुमी सी होती है तो चमक जाती है कभी।
कुछ इस तरह से इतिहास अपना दोहराती है सड़क।।
हमने तन्हाइयो में जब उसको उदास देखा है कभी।
दर्द भरा कोई नगमा आहिस्ता से गुनगुनाती है सड़क।।
थक जाते हैं जब कई बार क़दम चलते चलते।
मंजिल का लालच देकर हौसला बढ़ाती है सड़क।।
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