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वो जो मुझको इस धरा पर था लाया ।
जिसने उंगली पकड़ कर चलना सिखाया।
बारिशों,आंधियों के थपेड़े बहुत पड़े झेलने।
वही तो था जिसने इनको सहना सिखाया।
जो मेरे दर्द में चीखने लगता था खुद भी।
मेरे जख्मों पर जिसने मरहम लगाया।
कितनी मुश्किलें थीं जीवन में उसके।
मुस्कुराते चेहरे ने उसके, कुछ ना बताया।
मैं जो भी, जहां भी, हूं उसी की बदौलत।
कृतज्ञ पुत्र पर रखना सदैव अपना साया।
..........................नंदन...
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