Share0 Bookmarks 46489 Reads0 Likes
बचपन में दौड़ना सीखा
जवानी में उड़ना आसमान में
बुढ़ापे में आ गए जमीं पर
फिर से आया तीर कमान में
दरिया सागर से मिलने को है
एक बड़ा पेड़ गिरने को है
हसरतें हुई सब धुंआ धुंआ
आखिरी सांस भी छिनने को है
समझ न पाए ख़ुद को भी
औ
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments