नियति's image
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बचपन में दौड़ना सीखा

जवानी में उड़ना आसमान में

बुढ़ापे में आ गए जमीं पर

फिर से आया तीर कमान में


दरिया सागर से मिलने को है

एक बड़ा पेड़ गिरने को है

हसरतें हुई सब धुंआ धुंआ

आखिरी सांस भी छिनने को है


समझ न पाए ख़ुद को भी

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