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यहां जब भी कल होगी।
हवाओं में नई हलचल होगी।।
एक बदली मेरे रूबरू होगी।
नई इश्क की दास्तां शुरू होगी।।
पहाड़ों से आती एक खुशबू होगी।
फिर जवां होने की जुस्तजू होगी।।
सितारों से भरा सारा आसमां होगा।
चांद हद से ज़्यादा मेहरबां होगा ।।
छतों पर गूंजेगी किलकारियां।
बसंत के स्वागत की होंगी तैयारियां।।
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