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झुक तो गया हूं मैं इतना ज़्यादा
मुझको गिराना क्यों चाहते हो
जो कभी थी ही नहीं हम तुम में
वो दुश्मनी निभाना क्यों चाहते हो
दिल के मेरे टुकड़े कर , फिर से
नया दिल बनाना क्यों चाहते हो
मेरे घर की दीवारों से भी अपनी
तस्वीर हटाना क्यों चाहते हो
जो तुमने कहा और मैने सुना
अब सबको बताना क्यों चाहते हो
मैं ख़ाक ही तो हूं ,फिर से मुझे
ख़ाक में मिलाना क्यों चाहते हो
मेरी दर्द भरी नज्में पढ़कर,तुम
सबको हंसाना क्यों चाहते हो
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