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उसने हाथों में मेहंदी सजाई
माथे पर बिंदिया लगाई
रोम रोम पुलकित था उसका
अंग अंग में खुशी समाई
चोटी में फूल लगाया था
उर में आनंद समाया था
पिया मिलन की आस लिए
करवे का थाल सजाया था
आहट होती हल्की सी भी
वो दुल्हन सी शर्मा जाती
पिया द्वार पर आ पहुंचे
सोच,धड़कती थी छाती
वो पल भी आ ही
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