Share0 Bookmarks 43677 Reads0 Likes
मुहब्बत की, वो भी इकतरफा
ये गुनाह कैसे हो गया ?
चार कदम गर साथ चले
वो हमराह कैसे हो गया ?
लाखों चले इन राहों पर
मैं ही गुम
No posts
No posts
No posts
No posts
मुहब्बत की, वो भी इकतरफा
ये गुनाह कैसे हो गया ?
चार कदम गर साथ चले
वो हमराह कैसे हो गया ?
लाखों चले इन राहों पर
मैं ही गुम
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments