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मुहब्बत की, वो भी इकतरफा
ये गुनाह कैसे हो गया ?
चार कदम गर साथ चले
वो हमराह कैसे हो गया ?
लाखों चले इन राहों पर
मैं ही गुमराह कैसे हो गया?
मेरी निगहबानी ली जिसने
वो बेपरवाह कैसे हो गया ?
क़त्ल आंखों से किया उसने
मेरा दिल गवाह कैसे हो गया?
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