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इस तरह से मैं तुझको अपना प्यार दूं।
जी चाहता है कभी तेरी जुल्फें संवार दूं।
कभी तेरी बिंदिया को सही से लगा दूं।
न लगे नज़र, काजल का टीका लगा दूं।
सुराही सी गर्दन पर एक हार सजा दूं ।
साड़ी के पल्लू में थोड़ा प्यार सजा दूं।
कभी तेरे पैरों की पायल से थोड़ा खेलूं।
दिन भर की थकन तेरी अपने पर ले लूं।
ज़रूरी नहीं ये हो,पर मेरे जी में आता है।
सपने मैं देखूं तो इसमें तेरा क्या जाता है ।
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