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सब मिलकर उस आग को बुझा दो
एक सिरफिरे ने उधर लगा दी है जो
जल्दी करो, इसमें कहीं देर ना हो जाए
हवा का रुख़ कहीं इस तरफ़ ना हो जाए
चारों तरफ़ बसे हुए सबके कच्चे मकान हैं
और सिर्फ तमाशाई बनकर बैठे सारे इंसान हैं
ज़लज़ले के इंतज़ार में बैठी है ये दुनियां
बस देखना है कि पहुंचता है वो कब यहां
आग तो फैलेगी ही जब हवाओं में ज़ोर होगा
फिर मौत का कोहराम होगा,बेहद शोर होगा
हबाब सी हस्ती के , अरमां सब निकल जायेंगे
जब आग में,इसको लगाने वाले भी जल जायेंगे
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