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कुछ देर रहने दो जुल्फें बिखरी हुई
सजने संवरने की जल्दी क्या है।
नजारे देख लो जी भर के इधर पहले
उस पार उतरने की जल्दी क्या है ।
बमुश्किल मिले हो इक अरसे के बाद
अभी से बिछड़ने की जल्दी क्या है।
मकाम कितने बाकी हैं अभी इश्क में
कुछ कर गुजरने की जल्दी क्या है ।
माना कि तय है ये, मर जायेंगे इक रोज़
मगर जीते जी मरने की जल्दी क्या है ।
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