Share0 Bookmarks 47620 Reads1 Likes
मैं ही इस तरफ़ शोले सा दहकता क्यों रहूं।
कुछ आंच तेरी तरफ़ से भी तो आनी चाहिए।।
मेरे इश्क को सबने इबारत सा पढ़ा।
अब तेरे इश्क की भी कोई निशानी चाहिए।।
No posts
No posts
No posts
No posts
मैं ही इस तरफ़ शोले सा दहकता क्यों रहूं।
कुछ आंच तेरी तरफ़ से भी तो आनी चाहिए।।
मेरे इश्क को सबने इबारत सा पढ़ा।
अब तेरे इश्क की भी कोई निशानी चाहिए।।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments