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तेरे रूप के क्या कहने
पर क्यों पहने इतने गहने
तू स्वयं ईश की कृति अनमोल
हर अंग बनाया प्रभु ने तोल
छूने से मैली हो जायेगी तू
सांसों में तेरी चंपा की खुशबू
नाज़ुक कमर तेरी बलखाती
आत्ममुग्धा सी तू इतराती
रख सम्हाल तू नैन कटारी
जाने कब आ जाए मेरी बारी
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