Share0 Bookmarks 47123 Reads1 Likes
एक थे मंत्री
व्यक्तिव के धनी और मधुर उनके बोल
घड़ी से खासा प्रेम और बतलाते वक्त अनमोल
सुबह को समाजशास्त्रियों के बीच जाते
शाम को इतिहासकारों को नाश्ते पर बुलाते
दार्शनिक दृष्टि तो विरासत में पाई
वैज्ञानिक सोच तो दहेज में आई
अर्थशास्त्रियों का घर पर आना जाना लगा रहता
रोज़ नित नए काम का उन्माद उनमें जगा रहता
स्थापत्यकला का ज्ञान बड़ा
चित्रकारी का भी खुमार चढ़ा
कवियों को कविता लिखने की विधि बताते
जो कोई न लिख पाता उसका मजाक उड़ाते
मीडिया उनसे सवाल करन
व्यक्तिव के धनी और मधुर उनके बोल
घड़ी से खासा प्रेम और बतलाते वक्त अनमोल
सुबह को समाजशास्त्रियों के बीच जाते
शाम को इतिहासकारों को नाश्ते पर बुलाते
दार्शनिक दृष्टि तो विरासत में पाई
वैज्ञानिक सोच तो दहेज में आई
अर्थशास्त्रियों का घर पर आना जाना लगा रहता
रोज़ नित नए काम का उन्माद उनमें जगा रहता
स्थापत्यकला का ज्ञान बड़ा
चित्रकारी का भी खुमार चढ़ा
कवियों को कविता लिखने की विधि बताते
जो कोई न लिख पाता उसका मजाक उड़ाते
मीडिया उनसे सवाल करन
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments