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एक थे मंत्री
व्यक्तिव के धनी और मधुर उनके बोल
घड़ी से खासा प्रेम और बतलाते वक्त अनमोल
सुबह को समाजशास्त्रियों के बीच जाते
शाम को इतिहासकारों को नाश्ते पर बुलाते
दार्शनिक दृष्टि तो विरासत में पाई
वैज्ञानिक सोच तो दहेज में आई
अर्थशास्त्रियों का घर पर आना जाना लगा रहता
रोज़ नित नए काम का उन्माद उनमें जगा रहता
स्थापत्यकला का ज्ञान बड़ा
चित्रकारी का भी खुमार चढ़ा
कवियों को कविता लिखने की विधि बताते
जो कोई न लिख पाता उसका मजाक उड़ाते
मीडिया उनसे सवाल करने से कतराती
उनकी हाज़िर जवाबी से जनता दंग रह जाती
अपने क्षेत्र के लोगों को GDP के बारे में समझाते
बेरोजगारी दूर करने के रोज़ नए उपाय बताते
चुनाव के वक्त गिरगिट की भांति बदलते रंग
धर्म और जाति को बताते चुनाव का अहम अंग
दिन में ईमानदारी का पाठ पढ़ाते
रात के अंधेरे में घर घर पैसा पहुंचाते
ख्वाबों में आसमान को भी वो छू लें
हकीकत में मानवता शब्द का अर्थ भूले
ऐसे थे मंत्री
- नमन
व्यक्तिव के धनी और मधुर उनके बोल
घड़ी से खासा प्रेम और बतलाते वक्त अनमोल
सुबह को समाजशास्त्रियों के बीच जाते
शाम को इतिहासकारों को नाश्ते पर बुलाते
दार्शनिक दृष्टि तो विरासत में पाई
वैज्ञानिक सोच तो दहेज में आई
अर्थशास्त्रियों का घर पर आना जाना लगा रहता
रोज़ नित नए काम का उन्माद उनमें जगा रहता
स्थापत्यकला का ज्ञान बड़ा
चित्रकारी का भी खुमार चढ़ा
कवियों को कविता लिखने की विधि बताते
जो कोई न लिख पाता उसका मजाक उड़ाते
मीडिया उनसे सवाल करने से कतराती
उनकी हाज़िर जवाबी से जनता दंग रह जाती
अपने क्षेत्र के लोगों को GDP के बारे में समझाते
बेरोजगारी दूर करने के रोज़ नए उपाय बताते
चुनाव के वक्त गिरगिट की भांति बदलते रंग
धर्म और जाति को बताते चुनाव का अहम अंग
दिन में ईमानदारी का पाठ पढ़ाते
रात के अंधेरे में घर घर पैसा पहुंचाते
ख्वाबों में आसमान को भी वो छू लें
हकीकत में मानवता शब्द का अर्थ भूले
ऐसे थे मंत्री
- नमन
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