
Share0 Bookmarks 43 Reads1 Likes
मैं क्या हूँ,
इसी बात की तलाश में तो, आज भी भटक रहा हूँ।
बिना किसी बात के, बस यूं ही गुज़र रहा हूँ।
अरे माना कि अल्हड़पन में, अकेला हूं मगर,
महादेव का भक्त हूँ, बस यूं ही चला जा रहा हूँ।।
और अगर मैं रोऊं, तो मेरी परवाह ना करना।
बस मुंह फेरकर कहीं दूर निकल लेना।
अकेलेपन से मित्रता कुछ यूं कर बैठा हूँ।
No posts
No posts
No posts
Comments