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पता है दिलों की मासूमियत शब्दों में बयां नहीं करते,
हाले-ए-दिल के जज़्बात यूं ज़ाया नहीं करते,
माना कि ज़िंदगी बेरुखी है मगर,
जवानी को इस कदर यूं गंवाया नहीं करते।।
हाले-ए-दिल के जज़्बात यूं ज़ाया नहीं करते,
माना कि ज़िंदगी बेरुखी है मगर,
जवानी को इस कदर यूं गंवाया नहीं करते।।
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