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कहने को तो चांद सभी तोड़ ले आते हैं बात बात में ,
मैं मुस्कुराते हुए देखता हूं हर रोज चांद सूनी रात में ,
पानी भरकर रखता हूं आंगन में बस इतनी सी बात है ,
क्या पता चांद टपक जाए किसी दिन और रहने लगे मेरे साथ में ।
मैं मुस्कुराते हुए देखता हूं हर रोज चांद सूनी रात में ,
पानी भरकर रखता हूं आंगन में बस इतनी सी बात है ,
क्या पता चांद टपक जाए किसी दिन और रहने लगे मेरे साथ में ।
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