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शुरू में उस पेड़ पे बादल उगते थे
फिर उस पेड़ से नदियां निकलने लगी
फिर सूरज शाम को उसे के नीचे आराम करने लगा
धीरे धीरे वही चांद को रात में जगाने लगा
उस पेड़ की जड़ों ने ही धरती को थाम लिया
उस पेड़ पे अब आसमान भी आ टिका था
मैं, जिसन
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