ईश्वर's image

शुरू में उस पेड़ पे बादल उगते थे

फिर उस पेड़ से नदियां निकलने लगी

फिर सूरज शाम को उसे के नीचे आराम करने लगा

धीरे धीरे वही चांद को रात में जगाने लगा

उस पेड़ की जड़ों ने ही धरती को थाम लिया

उस पेड़ पे अब आसमान भी आ टिका था

मैं, जिसने वह पेड़ लगाया था

खुद को विधाता समझने लगा

पर देखते देखते ही उस पेड़ में ही

पूरी दुनिया समाहित हो गई

मैं शून्यता में बस उसे बढ़ता देखता रहा।

कल फिर एक पेड़ लगाऊंगा

और कुछ पल के लिए ही सही पर

फिर से मैं ही ईश्वर बन जाऊंगा

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