“महामारी के दौर मे गाँव जाते एक परिवार पर कविता “'s image
2 min read

“महामारी के दौर मे गाँव जाते एक परिवार पर कविता “

Mukul TripathiMukul Tripathi June 16, 2020
0 Bookmarks 242325 Reads0 Likes

“महामारी के दौर मे गाँव जाते एक परिवार पर कविता “


गाँव से हम आये थे, मजदूरी करनें शहर |

रोजगार की चाह में, पकड़ी थी ये डगर ||

धीरे धीरे सब जम गया, जिंदगी हो गई आसान |

जरूरतें भी हो गई पूरी, घर भी भेजा  कुछ सामान ||


फिर एक रोज मालिक नें, बातें की कुछ चंद |

500 का नोट थमाकर कहा, फैक्ट्री रहेगी कल से बंद ||


इन बातों ने कर दिया, मुझे पूरी तरह से स्तब्ध |

अपने परिवार के प्रत्येक प्रश्न पर, रहा केवल निःशब्द ||


मेरे हाथ मे साहब ने केवल, 500 का नोट थमाया था |

परंतु अभी तो घर का राशन और, किराया भी बकाया था ||


यातायात के सभी  साधनों को, भी सरकार ने बंद कराया था |

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts