साधना's image
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हे साधना कहां से आरंभ हो

ललाट के तेज को आत्मसात करूं

या फिर भूमि के स्पर्श को

ललित सौंदर्य के समक्ष साष्टांगत

भूमि के वंदन को सर्प की भांति

नवीन शाखा के समान आलिंगन

अतार्थ पूर्ण दासत्व हो

ये अर्चना का आत्मीय स्वरूप

और कला का बाह्य विस्तार है

ये पूर्णता की ओर एक मात्र

अतिआनंदित सुनम्य मार्ग

एंद्रिक वंदना का आधार है

उपमेय उपमा के माया में मस्त

परस्पर ज्योति एवम् ताप का संगम

यही प्रकृति के अस्त्तिव का साधन है

कोटि कोटि विच्छेद का पुनः योग

ओर मृत्यु के समान ही सच्ची

आकाश की ओर गमन करती है

एक एक भाव का पुनर्सृजन

एवम् आत्मा का एकीकरण

विचलित अग्नि को सागर में शांत करती है


Mukku




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