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।। तू डॉन है ।।
रात को
बस सोने से पहले।
तुम भी आईने को निहारा करो।
एक भौंह चढ़ा, खुद को इशारा करो।
नजर से नजर मिला, हाल पूछा करो।
कैसे? ठीक? कुछ कमी तो नहीं?
बस इतना पूछ, खुदी को पुकारा करो।
जब मुस्कान मीठी, लबों पर आने लगे।
जब आँखों कि बत्तियां जगमगाने लगें।
तो समझ जाना कि मन तेरा खुशहाल है।
संतुष्टि से लबालब, मालामाल है।
वाह तूफानों में भी, तू कमाल है!
पर चमक अगर दिखाई न दे।
जवाब खुद का, सुनाई न दे।
तो भी निराश मत, हो जाना कहीं तू।
नैया किनारे मत, बाँध देना कहीं तू।
खुद को ही तसल्ली देनी आती है क्या?
एक आँख बंद, एक खोलनी आती है क्या?
तो बस एक आँख मार, खुद को हंसा देना तू।
खुद के इस दिल को, समझा लेना तू।
कि मत कर फिक्र, अरे सब ठीक है।
जिंदगी के सफर कि यही लीक है।
मत बुझा मन को क्योंकि बटन ऑन है।
अपने मन का तू ही डॉन है।
✍मुक्ता शर्मा त्रिपाठी
रात को
बस सोने से पहले।
तुम भी आईने को निहारा करो।
एक भौंह चढ़ा, खुद को इशारा करो।
नजर से नजर मिला, हाल पूछा करो।
कैसे? ठीक? कुछ कमी तो नहीं?
बस इतना पूछ, खुदी को पुकारा करो।
जब मुस्कान मीठी, लबों पर आने लगे।
जब आँखों कि बत्तियां जगमगाने लगें।
तो समझ जाना कि मन तेरा खुशहाल है।
संतुष्टि से लबालब, मालामाल है।
वाह तूफानों में भी, तू कमाल है!
पर चमक अगर दिखाई न दे।
जवाब खुद का, सुनाई न दे।
तो भी निराश मत, हो जाना कहीं तू।
नैया किनारे मत, बाँध देना कहीं तू।
खुद को ही तसल्ली देनी आती है क्या?
एक आँख बंद, एक खोलनी आती है क्या?
तो बस एक आँख मार, खुद को हंसा देना तू।
खुद के इस दिल को, समझा लेना तू।
कि मत कर फिक्र, अरे सब ठीक है।
जिंदगी के सफर कि यही लीक है।
मत बुझा मन को क्योंकि बटन ऑन है।
अपने मन का तू ही डॉन है।
✍मुक्ता शर्मा त्रिपाठी
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