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जीवन का सबसे अनमोल और महत्वपूर्ण रिश्ता आपका खुद से है, बाकी रिश्तों के संग-संग इसे भी अवश्य समय दीजिए। यह स्वार्थ नहीं अपितु परमार्थ है। क्योंकि अंतरात्मा की पुकार परोपकार और सदाचार ही होती है। विश्वास नहीं तो बात करके देखें।
✍मुक्ता शर्मा त्रिपाठी
हिन्दी अध्यापिका
श इं ज सिं स मि स्कूल कोटला शर्फ़ बटाला
✍मुक्ता शर्मा त्रिपाठी
हिन्दी अध्यापिका
श इं ज सिं स मि स्कूल कोटला शर्फ़ बटाला
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