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सुंदर, सलोने, न्यारे, प्यारे, बड़े या छोटे सपने!
आपका मन जैसे भी सपने बुनता है उसे रोकें-टोकें नहीं।
बस सपनों को बुनते जाएँ, उनकी सुनते जाएँ।
✍मुक्ता शर्मा त्रिपाठी
हिन्दी अध्यापिका
श इं ज सिं स मि स्कूल कोटला शर्फ़ बटाला
आपका मन जैसे भी सपने बुनता है उसे रोकें-टोकें नहीं।
बस सपनों को बुनते जाएँ, उनकी सुनते जाएँ।
✍मुक्ता शर्मा त्रिपाठी
हिन्दी अध्यापिका
श इं ज सिं स मि स्कूल कोटला शर्फ़ बटाला
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