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भ्रम का कुटिल जाल मुसाफ़िर से ठिठोली करते हुए कहता है कि अदृश्य मंजिल की चिंता में देखना कहीं किनारे के चटक रंगों से सजे फूल, पंछियों की उड़ती डार, खिलखिलाती मुस्कान का क्षणिक आनंद लेना मत भूल जाना!
देखा भट
देखा भट
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