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विद्यार्थी एक तीव्र गति से बहती हुई नदी के समान होता है। नदी स्वयं को समग्र, सम्पूर्ण रूप में नहीं देख सकती मगर अध्यापक देख सकता है तथा वह विवेक पूर्ण दिव्य दृष्टि का सदुपयोग कर उस
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