जब पास नहीं होते तुम,
तो अकेलेपन का आलम यूँ होता है—
“अंधेरे में हम
अपनी परछाइयों से टकरा जाते है।
और बात करनी हो तो,
सन्नाटे को अपनी आहत सुनाते है॥”
मुकेश……
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