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जानता हूँ मन तुम्हारा भारी है,
एक बार मुझसे मन की बाँट लो।
तुम छुपकर मुझसे जाते हो,
मैं तेरी आहट पहचानता हूँ।
और, अकेले कितना आँसू बहाओगे,
एक बार इस काँधे को उस लायक़ तो समझ लो।
तुम सबकुछ बरदास करते हो,
तो थोड़ा मुझको भी बरदास कर लो न।
मायूसी में तुमने तुम्हें भुला दिया,
पर तुम मुझे याद हो,
क्योंकि तुममें हम जीते है।
और जीना चाहते है॥
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