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वो मुझे घायल करके,
मुस्कुरा रही थी।
पर वो पगली क्या जाने,
घायल करने का हुनर,
मुझमें में भी है।
कमबख़्त! ये इश्क़ ही है,
जो उसे मुस्कुराते देखना चाहता है,
इसीलिए इस घाव पर,
अब भी मरहम नहीं लगाया है॥
….. मुकेश….
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