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मेरे अज़ीज़ दोस्त कहते है,
भूल क्यों नहीं जाते उसे।
कुछ नहीं रखा है,
इस प्यार-व्यार में।
पर कैसे बताऊँ मैं उन्हें,
कि उसे भूलने के लिये भी,
एक बार उसे याद करना पड़ता है॥
…..मुकेश….
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